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भारतीय गाय के वैज्ञानिक पहलू

गाय के चार अलग पेट हैं। गाय जो भोजन लेती है वो चार स्तर पर प्रक्रिया करने के बाद हमें दूध के रुप में मिलता है। पहला स्तर जहाँ भोजन तैयार होता है वो एक द्रव्य पदार्थ का रूप ले लेता है और Rumen (प्रथम आमाशय) नामक पेट में जमा हो जाता है जिसे Rumen Fluid भी कहते हैं। यह एक Microbe Rich Fluid है।

Ohio State University के 2008 के शोध के अनुसार Rumen Fluid जो एक साधारण घास से बनता
है वो पारम्परिक हाइड्रोजन Fluid की तुलना में सिद्धांत के आधार पर 12 गुणा और परीक्षण करने के बाद 8 गुणा ज्यादा शक्तिशाली सिद्ध हुआ है। गाय के वैदिक चित्र में जो स्थान अग्नि देव का है वहीं पर गाय का Rumen पेट है। वैदिक विज्ञान ये जानता है कि सबसे उच्चतम ऊर्जा पैदा करने वाले कोशिकाएँ (Cell) यहाँ जमा होते हैं और वो भी आगे 3 स्तर की प्रक्रिया से गुजरते हैं फिर जाकर दूध मिलता है जोकि अमृत है।
वैज्ञानिक शोध से ये पता चला है कि 30 हजार जीनस (Genes) जो Enzymes पैदा करते हैं गाय में पाए जाते हैं। आज तक का शोध ये कहता है कि दुनियां में जितनी भी जीवित प्रजातियाँ हैं उनमें गाय ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसमें सबसे ज्यादा गिनती में जीनस (Genes) हैं जोकि भोजन को हज्म करने के लिए Enzymes पैदा करते हैं। इन Enzymes में इतनी क्षमता होती है कि ये साधारण घास को, आसानी से घुलने वाले सबसे शक्तिशाली Sugar में बदलते हैं। जिस कारण गाय के दूध को नवजात शिशु भी आसानी से हज्म कर सकता है और सेहतमंद बन सकता है।
दूध के पोषक तत्वों के अध्ययन से पता चलता है कि इस पृथ्वी पर ऐसा कोई पदार्थ नहीं है जिसमें विटामिन ‘डी’ हो सिवाय गाय के दूध के। बिना विटामिन ‘डी’ के आप जो भी कैल्शियम लेते हैं और आप धूप में नहीं जाते हैं तो आपको कोई कैल्शियम नहीं मिलता, आपकी हड्डियाँ मजबूत नहीं बनती हैं। लेकिन अगर आप गाय का दूध पीते हैं तो एक छोटे बच्चे की हड्डियाँ भी मजबूत हो जाती हैं।
गाय का मस्तिष्क Solar Cell से भरा हुआ है। गाय माता के मस्तिष्क का दायाँ भाग सूर्य का स्थान है। आँख से लेकर पूँछ तक ऊपर का सारा हिस्सा सूर्य नाड़ी मंडलम् कहलाता है जिसमें लगातार सूर्य की ऊर्जा एकत्रित होती है जोकि सीधी Rumen में चली जाती है। जिससे विटामिन ‘डी’ पदार्थ रूप में दूध मे ही तैयार हो जाता है।
वैज्ञानिकों का मत है कि यदि गौवंश से हम ऊर्जा पैदा करें तो 40 हजार मेगावाट ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है व 2540 अरब डालर इस पर खर्च होने से बच सकते हैं। गाय के गोबर से बनी गैस का उपयोग खाना बनाने, बिजली पैदा करने व वाहन चलाने में किया जा सकता है। वाहन चलाने की तकनीक IIT दिल्ली ने विकसित की है। गोबर गैस को परिशोधित करके उच्च दबाब सिलेंडर में भर कर वाहन चलाते हैं। CNG की तरह किसी भी वाहन में प्रयोग कर सकते हैं। गाय का गोबर व मूत्र गाय के दूध से भी ज्यादा उत्तम है। गाय के गोबर व मूत्र से काफी प्रभावशाली औषधियां तैयार होती हैं। साथ ही इनका इस्तेमाल घरेलू उत्पाद बनाने (जैसे:- दंत मंजन, साबुन, धूप, मूर्ति, गमले) में कर सकतें है जो एक अच्छा रोजगार का अवसर पैदा करता है।
हर एक मंगल कार्य की शुरूआत गौ पूजा के साथ करें …..

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