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देशी गाय का A-2 दूध (अमृत)

1. देशी गाय के दूध में EFA होता है और विटामिन A, B, E, C, D, Omega 3, स्वर्ण पदार्थ एवं सभी पोषक तत्व होते हैं जो हमारा पोषण करते हैं और बिमारियों से बचाव करते हैं।
2. खोजों के अनुसार भारतीय गाय के दूध में ‘सैरिबोसाईट’ नामक तत्व कोषों पाया गया है जो मस्तिष्क को स्वस्थ – सबल बनाता है। यह स्नायु को बल देने वाला और बुद्धि वर्धक है।
3. गौ माता एक ऐसा जीव है जिसकी आँत 180 फुट लम्बी होती है। गाय के दूध में “केरोटीन” नामक एक ऐसा उपयोगी एवं बलशाली पदार्थ मिलता है जो बच्चों की लम्बाई और सभी प्रकार के बल को बढ़ाने के लिए अत्यन्त उपयोगी होता है। यह आँखों की ज्योति बढाने वाला और कैंसर रोधक भी है।
4. गाय के दूध में ‘स्टोनटियन’ नामक ऐसा पदार्थ भी होता है जो विकिर्ण (रेडियेशन) प्रतिरोधक होता है। यह असाध्य बिमारियों का शरीर पर आक्रमण करने से रोकने का कार्य भी करता है।
5. सूर्यकेतू नाड़ी के प्रभाव से एक लीटर गाय के दूध में लगभग 150 रू. का स्वर्ण पदार्थ पाया जाता है।

*विदेशी गाय का A-1 दूध (ज़हर)

1. विदेशी गाय (HF & Jersey) के दूध में BCM7 तत्व पाया जाता है जिस से पाँच रोग होने के स्पष्ट प्रमाण वैज्ञानिकों को मिल चुके हैं: – रक्तवाहिका नाड़ियों का अवरूद्ध (जाम) होना, मधुमेह टाईप- 1, मानसिक रूप से विकलांग बच्चों का जन्म होना, स्नायु कोषों का नष्ट होना तथा अन्य मानसिक रोग, बच्चे अज्ञात कारण से अचानक मरने लगते हैं।
2. न्यूजीलैंड के लेखक Keith Woodfordकी किताब Devil in the Milk में लेखक ने अनेक प्रमाण देकर इसे सफेद जहर कहा है।
3. विश्व के सबसे बड़े दूध उत्पाद देश डेनमार्क में H.F. के जहरीले दूध का सेवन नहीं किया जाता है और इस दूध का पाउडर बनाकर यह हमारे देश में भेज देते हैं।
4. दूध की गुणवत्ता का निर्धारण केवल SNF और FAT के आधार पर करना उचित नहीं। इससे न तो दूध की गुणवत्ता और न ही इसकी विषाक्ता का पता चलता है।
5. विदेशी गाय की रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत कम होती है। इसलिए यह अधिक गर्मी – सर्दी सहन नहीं कर पाती है और जल्दी बीमार पड़ती हैं, जल्दी मरती हैं। इसके उत्पाद भी रोगों से लड़ने की शक्ति नहीं देते। 6. विदेशी गाय के गोबर, गोमूत्र की खाद से जमीन व फसल खराब होती है।

*देसी गाय का A2 दूध भैंस के A2 दूध से बेहतर क्यों?

1. वैसे तो भैंस का दूध भी A2 होता है देसी गाय का A2 दूध भैंस के A2 दूध से कहीं बेहतर होता है क्योंकि देसी गाय का दूध व घी 37°C पर पच जाता है और हमारे शरीर का तापमान भी 37°C होता है इसलिए गाय के दूध व घी को बच्चा भी आसानी से पचा लेता है जबकि भैंस का दूध व घी 40°C (104°F) पर पचता है जिसे पचाने के लिए बहुत ज्यादा कठोर परिश्रम की आवश्यकता है ।
2. “अर्न्तराष्ट्रीय हृदय रोग विज्ञान” के अध्यक्ष “डॉ शान्तिलाल शाह” ने कहा है कि भैंस के दूध में लोंगचेन फेट होता है जो नसों में जम जाता है फलस्वरूप हार्टअटैक की सम्भावना अधिक हो जाती है ।
3. भैंस के दूध के ग्लोब्यूल अपेक्षाकृत अधिक बड़े होते हैं तथा मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव करने वाले है। आयुर्वेद के ग्रन्थों के अनुसार भैंस का दूध वातकारक (गठिया जैसे रोग पैदा करने वाला), गरिष्ठ व कब्जकारक है ।
4. भैंस के दूध की लस्सी आलस्य बढ़ाने वाली शरीर को मोटा व निढाल बनाने वाली होती है।
5. भैंस के मूत्र एवं गोबर में कोई औषधीय गुण नहीं है ।
6. भैंस के स्पर्श से आयु कम होती है, इसलिए भैंस को यमराज का वाहन माना जाता है।

केवल देसी गाय का दूध व घी इस्तेमाल करें। भारत की फिजाओं में सदा याद रहूंगा, आजाद था आजाद रहूंगा

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