जल ही जीवन है। जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मानवीय शरीर का 70% हिस्सापानी ही है। परन्तु अगर जीवन देने वाला ही जीवन को नुकसान
पहुंचाने लगे तो इससे ज्यादा अनहोनी क्या होगी। आजकल दूषित पानी की समस्या बहुत गंभीर है। पीने वाला पानी ही दूषित हो चुका है। आजकल पानी में 2100 तरह के जहरीले तत्व मौजूद हैं, जिसका बुरा असर हमारी सेहत के ऊपर हो रहा है। दूषित पानी की इस समस्या का फायदा उठाकर लालची विदेशी कम्पनियों ने RO सिस्टम की खोज की। विदेशी कम्पनियों के अनसार RO पानी को शुद्ध करके पीने योग्य बनाता है। जिसको कि WHO (World Health Organisation) ने भी स्वीकार किया था।
पानी में बहुत सारे लाभदायक तत्व होते हैं, जैसे कि कैल्शियम, मैग्नीशियम, फासफोरस आदि, जो कि हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। पीने वाले पानी को TDS (Total Dissolved Salt) से मापा जाता है। मानव शरीर के लिए 350 TDS का पानी अति उतम है। 250 से 500 TDS तक का पानी भी अच्छा होता है। परन्तु RO द्वारा फिल्टर किये गये पानी में TDS की मात्रा 15 से 25 तक रह जाती है। जिससे मानव शरीर के जरूरी तत्व भी निकल जाते हैं। जिसके कारण शरीर में जरूरी तत्वों (मिनरल) की कमी हो जाती है। इस कमी के कारण शरीर हड्डियों से जरूरी तत्व (मिनरल्स) लेना शुरू कर देता है। जिस कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। RO के पानी के लगातार सेवन से शरीर में विटामिन B-12 की भी कमी हो जाती है और इसके साथ थकान, कमज़ोरी, जोड़ों का दर्द, बाल झड़ना, मांसपेशियों का दर्द, पेट की बीमारियां, दिल से सम्बंधित बिमारियां आदि रोग होते हैं इसकी पुष्टि अब WHO (World Health Organisation) ने भी कर दी है। इसीलिए अमेरिका और यूरोप के 19 देशों में RO के ऊपर प्रतिबंध लगा दिया गया है। RO प्लास्टिक का बना होता है और फिल्टर का पानी भी प्लास्टिक की बोतलों में भर कर रखा जाता है। जिससे कि प्लास्टिक पानी में घूल के शरीर में जाती है। जिससे कि कैंसर जैसी जानलेवा बिमारियां हो सकती हैं। बोतलों का कारोबार अरबों रूपये का है जिससे कि हमारे देश का पैसा विदेशों में चला जाता है। वैसे भी खाली होने वाली प्लास्टिक की बोतलों से वातावरण को बहुत खतरा है। नैचुरल रिसोरसेज डिफैंस कांऊसिल के अनुसार बोतल वाले (RO वाले) पानी और आम पानी में कोई खास अंतर नही होता। RO का पानी मुलायम रखने के लिए इससे ‘पैथलेटस’ नामक कैमिकल डाला जाता है। इस कैमिकल का इस्तेमाल खिलौने बनाने, सजावटी सामान और इतर आदि बनाने में किया जाता है। इससे प्रजनन शक्ति पर बुरा असर पड़ता है। इसमें एक और कैमिकल डाला जाता है। जिसे कि ‘ऐटीमन’ कहते है। इससे डायरिया, जी मचलना आदि रोग पैदा होते हैं। लगातार कई दिनों
बोतलों में भरने के बाद बोतलों को
तक RO का पानी पीने के बाद साधारण पानी पीकर देखें। आपको पेट में भारीपन महसूस होगा। जिसका कारण है कि आंतों की रोग प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो रही है। WHO जो कि पहले RO को बहुत बढ़िया प्रणाली मानता था। आज वही WHO इसको गलत बता रहा है। भारतीय सिनेमा, क्रिकेटर और विज्ञापन वाले भी टेलिविजन पर सिर्फ पैसों के लालच में RO का गलत प्रचार कर रहे हैं। इसीलिए RO के प्रयोग से बचें। इसकी जगह प्राकृतिक और देशी तरीकों से पानी को साफ करें।
• बारिश का पानी सर्वात्तम है। घरों की छतों को पक्का बनवा लो। बारिश के दिनों में छत को साफ करके लकड़ी का कोयला और चूना डाल दो। छत के पानी को किसी पाईप द्वारा किसी टंकी में इकट्ठा करने का इंतजाम कर दो। तांकि छत पर गिरा हुआ पानी कोयले और चूने से छन कर पाईप के द्वारा टंकी में आ जाए। यह पानी एक साल तक खराब नहीं होता। यह पानी पेट के लिए सबसे बढिया है। जरूरत पड़ने पर इसमें थोड़ी फिटकरी डाल दो। राजस्थान जैसे इलाकों में ऐसे ही पानी इकट्ठा किया जाता है।
• ज्यादा गंदा पानी हो तो सूती कपड़े के 3-4 तह करके पानी को छान लो। मोटी गंदगी कपड़े से छनकर निकल जायेगी। इस छने हुए पानी को उबालो। इसमें वायरस और कीटाणु खत्म हो जायेगें। ठंडा होने पर इसमें 4 – 5 पत्ते तुलसी डाल दो। इस पानी को पारदर्शी काँच के बर्तन में भरकर धूप में रखो। जिससे गुणवत्ता बढ़ेगी। किसी सूती कपड़े में कोयला या देशी गाय के गोबर की राख बांध कर इस पानी में रखो। यह कोयला या राख पानी की सारी गंदगी खींच लेगा।
• पानी हमेशा मिट्टी के घड़े में भरकर रखो। घड़ा पानी के तत्व ज्यादा होने पर सोख लेता है
और अगर तत्व कम है तो पूरे कर देता है। आप इसमें 4-5 पत्ते तुलसी, 4-5 पत्ते
पुदीना, चुटकी भर चूना और थोड़ी सी देशी गाय के गोबर की राख भी डाल सकते
हैं।
• सादे पानी को शुद्ध करने के लिए मिट्टी के घड़े में 10 लीटर पानी में 25 ग्राम देशी गाय की गोबर की भस्म (राख) डाल सकते हैं या सहजन पौधे के 10 पत्ते या फिटकड़ी या 50 ML गौमूत्र भी डाल सकते हैं।
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