आज कल बाजार में आने वाले जंक (कूड़ा) फूड भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। मुख्य रूप से मोटापा, हृदय सम्बन्धी बिमारियां, मधुमेह (शुगर) और रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) की बिमारियों के लिए यह काफी हद तक दोषी होते हैं। उच्च तकनीकी के नाम पर, सफाई और लम्बे समय तक टिकाये रखने के लिए इनमें जो रसायन मिलाये जाते हैं वे सभी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं । इनके स्थान पर घर का बना शुद्ध, साफ-सुथरा एवं ताज़ा भोजन करें और ठंडे पेयों में मट्ठा, लस्सी, शरबत और औषधीय पेय पीयें । घर का ताजा खाना खायें । सबसे अच्छा तो यह है कि भोजन बनने के 48 मिनट के अन्दर रखा लेना चाहिए। उसके बाद उसकी पोषकता नष्ट हो जाती है । 12 घंटे बाद तो यह भोजन पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता इसलिए बासी खाने से बचना चाहिये।
जब हम फास्टफूड या अधिक तले भुने पदार्थ खाते हैं तो हमारे शरीर में रक्त की अम्लता बढ़ती जाती है । इसी के कारण हमारा शरीर रक्त की अम्लता को कम करने के लिए शरीर के अन्य हिस्सों से कैल्शियम और अन्य खनिज पदार्थों को खींचता है । जिससे अर्थराइटिस, ओस्टियो पोरोसिस जैसी गंभीर बिमारियां होती हैं । रक्त की अम्लता ठीक रखने का सबसे बड़ा मंत्र यह है कि हम जिस स्थान पर रहते हैं उसी स्थान पर होने वाले फल, सब्जी, अनाज हमारे लिये सर्वोत्म हैं।
विवाह आदि में परोसे जाने वाला भोजन भी अच्छा नहीं होता । चूंकि वहाँ सब कुछ विजातीय और विरूद्ध आहार वाला भोजन होता है। आइसक्रीम भी है तो गरम गरम सूप भी है। तला भुना भी अधिक है । पीजा, बर्गर जैसा बासी खाना भी है। सब को मिलाकर खायें तो वह सबसे खराब भोजन होता है। यह भोजन 6 घण्टे में भी नही पचता जबकि सामान्य भोजन 60 मिनट में पच जाता है। 0 डिग्री की आइसक्रीम से लेकर 60-70 डिग्री के सूप जैसा खाना जब हम साथ साथ खाते हैं तो यह अपच और पेट की गंभीर बिमारियों को जन्म देता है।
जंक फूड, बेकरी उत्पाद तथा डिब्बा /बोतल बंद आहार में अनेक प्रकार के रासायनिक संरक्षक (प्रिज्रवेटीव) डालें होते हैं। ये रसायन आहार को सड़ने से बचाते हैं पर सभी विषैले होते हैं और कैंसर जैसे अनेक भयानक रोग पैदा करते हैं। वास्तव में ये रक्त की अम्लता को बहुत बढ़ा देते हैं। अम्लीय रक्त के कारण ही सारे असाध्य रोग पैदा होते हैं।
‘मोनोसोडियम ग्लूटामेट’ नामक घातक रसायन भी इसमें डाला होता है। यह बेस्वाद आहार को भी स्वादिष्ट बना देता है। वास्तव में स्वादिष्ट तो नहीं बनता पर झूठा संदेश हमारे दिमाग को भेजता है कि वस्तु स्वाद है। सबसे बुरी बात यह है कि इसके कारण बहुत उत्तेजित होकर हजारों स्नायुकोष भर जाते हैं। दूसरी बुरी बात है कि यह एक नशा है अफीम और स्मैक की तरह। आदत पड़ने पर हम इसे बार-बार खाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। एम एस जी धीरे-धीरे हमारे स्नायुकोषों, प्रजनन तंत्र, गुणसूत्रों तथा शरीर के शेष अंगो को खराब कर देता है।
इसलिए करोड़ों बच्चे और युवा बेरौनक, मूर्ख, पिलपिले और बांझ होते जा रहे हैं। लाखों युवा हैं जिनकी संतानें नही हो रही हैं। समस्या का सबसे विकट रूप तो यह है कि देशी कम्पनियाँ, हलवाई, होटल भी इन रसायनों का प्रयोग करने लगे हैं।