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आयोडीन नमक जहर उपयोगी है सेंधा नमक ।

समुद्री नमक के बारे में अमेरिका में हुई नई खोंजों के अनुसार हमारे शरीर की कुल मांग का केवल 20% ही समुद्री नमक प्रयोग लाया जाना चाहिए। शेष 80% सेंधा, काला या संवर नमक प्रयोग करना चाहिए। पर गम्भीर समस्या यह है कि बाजार में मिलने वाला समुद्री नमक कई प्रकार की रासायनिक क्रियाओं से गुजरने के बाद चीनी की तरह विषैला हो जाता है। इसी आधार पर स्व. भाई श्री राजीव दीक्षित जी आयोडीन रहित नमक की बिक्री पर लगी रोक हटवाने में सफल हुए थे। पर इलेक्ट्रानिक मीडिया तथा समाचार पत्रों ने इस समाचार को दबा दिया।
एक जरूरी जानकारी यह है कि यह फ्रीफ्लो आयोडिन नमक शरीर में सारे विषों को बाहर निकलने से रोकता है। अत: अनेक रोगों का बड़ा कारण है। इसके विपरीत शेष प्राकृतिक नमक सारे विषों को बाहर निकालने में सहायता करते हैं। अतः ये रक्तचाप को बढ़ाते नहीं, सामान्य करते हैं।
समुद्र के पानी और धूप की गर्मी से वाष्पित होकर बनने वाले नमक में सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम जैसे तत्व मिले रहते हैं। यह तत्व वर्षा के पानी के द्वारा जमीन की मिट्टी से मिलते हुए समुद्र में मिलते हैं और यही नमक में आते हैं । इसीलिए थैलीवाले आयोडिन नमक से खड़ा नमक (सेंधा या काला) ज्यादा अच्छा है। सेंधा नमक में सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम आदि का अनुपात सन्तुलित होता है । इसीलिए यह नमक हल्का, सुपाच्य और शरीर के लिए लाभदायक होता है। हम रोजाना जो सब्जियां या दालें खाते हैं, उनमें आजकल भरपूर मात्रा में डी ए पी, यूरिया के रूप में रासायनिक खाद, कीटनाशक डाले जाते हैं जिसके कारण यह विष हमारे शरीर में जाते हैं । एक अनुमान के अनुसार हम साल भर में लगभग 70 ग्राम विष खा लेते हैं । सेंधा नमक इस जहर को कम करता है। नपुंसकता, रक्तचाप, थॉयराइड, लकवा, मिर्गी आदि बिमारियों को रोकता है

सेंधा नमक में 84 खनिज होते है। इसके अलावा इसमें Trace Minerals भी होते हैं इन Trace Minerals के कारण ही सोडियम शरीर को निरोगी बनाता है आयोडीन नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है । शरीर इसे न पचने वाले पदार्थ के रूप में रखता है। यह शरीर में घुलता नहीं है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए ट्राई कैल्शियम फॉस्फेट, मैग्नीशियम कार्बोनेट, सोडियम एल्यूमिना सिलिकेट जैसे रसायन मिलाये जाते हैं। जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है । विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं। जिसमें अवरोध बनाने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। ऑक्सीजन जाने में परेशानी होती है। एक ग्राम आयोडीन नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी सोखता है। यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।

*विशेष : अपने आसपास के करियाने वालों से ही सेंधा नमक का पत्थर लेकर प्रयोग करें ।

*सेंधा नमक के गुणः

सभी नमको में केवल सेंधा नमक हृदय एवं नेत्रों के लिए हितकर, वीर्यवर्धक, त्रिदोषशामक (वात-पित्त-कफ को संतुलित करने वाला), जल्दी पचने वाला और जठराग्नि को प्रदीप्त करने वाला होता है।

(अष्टाङ्गहृदयम्, श्लोक संख्या – 144, अध्याय 6, सूत्रस्थानम्)

चाईना का माल खरीदें तो गद्दार, अमेरीकन पीज़ा खायें तो देशभक्त ?

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