You are currently viewing पानी हमेशा घूँट-घूँट व बैठकर पीएँ ।​

पानी हमेशा घूँट-घूँट व बैठकर पीएँ ।​

पानी हमेशा धीरे-धीरे पीना चाहिए अर्थात घूँट – घूँट करके पीना चाहिए ।
यदि हम धीरे धीरे पानी पीते है तो उसका लाभ यह है कि हमारे हर घूँट के साथ हमारे मुँह की लार पानी के साथ मिलकर पेट में जायेगी हमारी लार क्षारीय होती है और यह हमारे पेट में पहुँचकर पेट के अम्ल को शांत करती है व पाचन तंत्र को मजबूत करती है ।
इसलिए मुँह की लार अधिक से अधिक पेट में जाये इसके लिए पानी हमेशा घूँट – घूँट करके पीना चाहिए ।
कभी भी खड़े होकर पानी नहीं पीना चाहिए (घुटनों के दर्द से बचने के लिए) । क्योंकि जब हम पानी पीते हैं तो पानी के साथ वायु का प्रवेश भी शरीर में होता है, खड़े रहने की स्थिति में घुटनों के इर्द गिर्द खाली जगह रहती है जहाँ वायु आकर रुकती है व बाद में घुटनों के दर्द में बदल जाती है । यदि हम बार- बार ऐसे ही पानी पीते रहें तो हमें हर्निया, वबासीर, प्रोस्टेट, अर्थरायटिस (जोड़ों का दर्द) जैसी बिमारियाँ अवश्य होंगी ।
भारत में लाखों छोटे- छोटे स्वदेशी उद्योग हैं जो विदेशी कंपनियों से टक्कर ले रहे हैं हमारा कर्तव्य है कि हम उनका मनोबल बढाएं और उनके गुणवत्ता वाले
स्वदेशी सामानों को प्राथमिकता दें।

फ्रीज का ठंडा पानी कभी ना पीएं।

क. पानी गुनगुना ही पीयें क्योंकि हमारे पाचन तंत्र का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहता है। यदि हम ठंडा पानी पी लें तो हमारे पेट को व पाचन तंत्र को फिर से 37 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करने के लिए शरीर, रक्त प्रवाह आमाशय की ओर बढ़ाता है। बार- बार ऐसा होने
से शरीर के कुछ अवयवों (अंगों) में रक्त प्रवाह की कमी होगी और वह अवयव (हार्ट, आंत, किडनी आदि) कमजोर हो जायेंगे व उससे संबधित रोग हो जायेंगें ।

ख. यदि हमने भोजन करते समय या भोजन के अंत में ठंडा पानी पीया तो वह पाचक रस का तापमान कम करके पचाने में बाधा उत्पन्न करेगा । ग.ग्रह ठंडा पानी भोजन के पाचन के बाद बने हुए मल को ठंडा करेगा। हम सब का अनुभव है कि यदि हम पेड़ा बर्फी, आईस्क्रीम इत्यादि फ्रिज में रख दें तो वे सब जम जाते है व कड़े हो जाते हैं। यह ठंडा पानी भी इसी प्रकार से हमारे मल को जमा देता है व कड़ा कर देता है । परिणाम स्वरुप यह कब्ज, बवासीर इत्यादि बड़ी आंत से संबधित अनेक रोगों को जन्म देता है ।

विशेष:- गर्मियों में मिट्टी के घड़े का पानी पीना चाहिए।
स्वदेशी आयेगा, तो स्वराज्य आयेगा – लोकमान्य तिलक जी

Leave a Reply